UP Board 12th Biology Important Questions Topics 2024

नासागुहा से स्वसन में ली गई वायु ग्रासनी में से होते हुए एक नली में जाती है जिसे स्वासनली या टरोकिया क्या कहते हैं ये है लगभग 12 सेमी लंबी तथा गर्दन की पूरी लंबाई में स्थित होता है। इसका कुछ भाग वक्ष गुहा में भी स्थित है। इसकी दीवार पतली तथा लचीली होती है और इसमें ‘C’ के आकार के उपस्थित अधूरे छल्ले पाए जाते हैं। जिनका अधूरा भाग पष्ट तल पर स्थित होता है ये छल्ले स्वांस नली की दीवारों को सीधी रखते हैं। वायु के निकल जाने पर भी स्वासनली थोड़ा फुल सकती है। स्वांस नली की आंतरिक सतह पर श्लेष्मा कला या झिल्ली पायी जाती है।

स्वसन सतह की विशेषताएँ।

  1. स्वसन सतह पतली होनी चाहिए।

2. यह म्यूकस या पानी द्वारा सदैव बनी रहनी चाहिए।

3. स्वसन सतह का क्षेत्रफल अधिक होना चाहिए।

4. स्वसन सतह में कोशिकाओं का घना जाल होना चाहिए।

5. यह O2 / CO2 के लिए पारगम्य होनी चाहिए।

6. यह जल या वायु के संपर्क में होना चाहिए।

मनुष्य के फेफड़े में लगभग 30 करोड़ वायुकोषटक होते हैं। इनकी दीवारों की सलकी एपिथीलियाल तथा रुधिर कोशिकाओं की एन्डोथिलीयम एक दूसरे से चिपकी होती है और स्वशन कला बनी रहती है मनुष्य के स्वसन कला की सतह का क्षेत्रफल लगभग 70 वर्ग मीटर होता है।

Endosteum : मज्जा गुहा के चारों ओर एक घनाकार व अशाखित कोशिकाओं का एककोशिकी स्तर होता है इसकी कोशिकाओ को ऑस्टिऑबलास्टस कहते है ये लगातार विभाजित होती रहती है तथा ओसिन का स्राव करके अस्थियों की वृद्धि करती है ओसीन गोलकार संकेंद्रीय बलियओ में जमा होती रहती है। इन वलयों को lamellae कहते हैं।

स्पन्जी अस्थि

अस्थि के दोनों सिरों पर मजजा गुहार नहीं होती और ये स्पन्जी अस्थि के बने होते हैं। े

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